Diwali Kyu Manate Hai | दीवाली क्यों मानते हैं?
Diwali Kyu Manate Hai:-दीवाली एक भारतीय हिंदू उत्सव है जो हर साल अक्टूबर और नवंबर महीने के बीच मनाया जाता है। यह उत्सव भारत और दुनिया भर में हिंदू समुदाय के द्वारा धूमधाम से मनाया जाता है। इस लेख में हम देखेंगे कि दीवाली क्यों मनाया जाता है और इसका महत्व क्या है।
Diwali Kyu Manate Hai
दीवाली का महत्व
दीवाली को भारतीय हिंदू समुदाय के लिए सबसे महत्वपूर्ण और उत्साहजनक उत्सव माना जाता है। इस उत्सव को सजावट, रंगों की बरसात, फटाफटी और आपसी मीठाईयों की बारिश, अंगने में दीपक और मुखौटों की सजावट, आपसी शुभकामनाओं और उपहारों की बरसात के साथ मनाया जाता है।
दीवाली के पीछे वैज्ञानिक और धार्मिक तात्विकता
दीवाली का मनाने का एक वैज्ञानिक कारण भी है। दीपावली भारतीय ज्योतिष शास्त्र में सूर्य ग्रह की पूजा का त्योहार है। सूर्य ग्रह हमारे जीवन के लिए उज्ज्वलता, ऊर्जा, और जीवनदायिनी शक्ति का प्रतीक है। दीपावली की रोशनी और दीपकों की जलाने की परंपरा इस धार्मिक तात्विकता को दर्शाती है, जो हमें उज्ज्वलता, ऊर्जा, और उपलब्धि की दिशा में प्रेरित करती है।
दीवाली के परंपरागत उत्सव
दीवाली भारतीय सभ्यता और परंपराओं का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह एक परिवार में सदस्यों के बीच एकता, प्यार, और भाईचारे को बढ़ावा देता है। इस अवसर पर घर को सजाने की परंपरा होती है, जिसमें घर को सजाने के लिए रंगों, धूपदीप, फूलों, बंगले, और रंगोली की सजावट की जाती है। घर की सजावट और उपहारों की बरसात से परिवार का मनोरंजन और खुशियों से भरा होता है, जो एक दूसरे के साथ हंसते-खेलते समय बिताया जाता है। इस तरह दीवाली परंपराओं को बनाए रखने का महत्वपूर्ण माध्यम है जो परिवार को एक-दूसरे के करीब लाता है और गांव और समाज की समृद्धि को बढ़ाता है।
दीवाली और धार्मिक विविधता
दीवाली एक ऐसा उत्सव है जो भारतीय धर्म और संस्कृति की विविधता को दर्शाता है। भारत में अनेक धर्मों के अनुयायी होते हैं जैसे हिंदू, सिख, जैन, और इस्लाम और इन सभी धर्मों में दीवाली को एक महत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है। हर धर्म की अपनी विशेषता और रूढ़िवाद होता है जो दीवाली को एक अनूठी धार्मिक अनुभव बनाता है।
दीवाली और हिंदू धर्म
हिंदू धर्म में दीवाली को भगवान राम और माता सीता के गृह प्रवेश के अवसर पर मनाया जाता है। इस दिन भगवान राम ने लंका के राजा रावण को मारकर सीता माता को वापस लिया था। दीवाली को राम-लीला के एक महत्वपूर्ण घटना के रूप में मनाया जाता है और हर वर्ष हिंदू धर्म के अनुयायी इस दिन अपने घरों को दीपों और दीयों से सजाते हैं ताकि भगवान राम और माता सीता का स्वागत किया जा सके। इसके साथ ही धूप, रंगोली, फुलझड़ी, फाटके और मिठाई की बरसात की जाती है जो दीवाली का मुख्य अंग है।
दीवाली और सिख धर्म
सिख धर्म में दीवाली को गुरु नानक जयंती के रूप में मनाया जाता है। यह दिन गुरु नानक देव जी की जन्म-तिथि होती है जो सिख समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण त्योहार है। सिख समुदाय के लोग दीवाली को अपने गुरु की याद में रौशनी के रूप में मनाते हैं और गुरुद्वारों में धूप, दीपों की रौशनी, कीर्तन और लंगर की व्यवस्था की जाती है।
दीवाली और जैन धर्म
जैन धर्म में दीवाली को महावीर निर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन महावीर स्वामी की मृत्यु की याद में मनाया जाता है जो जैन समुदाय के लिए एक आदर्श गुरु हैं। जैन समुदाय के लोग इस दिन धूप, सजावट, दीपों की रौशनी और आपस में गिफ्ट द्वारा दीवाली का त्योहार मनाते हैं। वे अपने घरों को दीपों से सजाते हैं और रंगोली बनाते हैं जो एक आकर्षक दृश्य प्रदर्शित करता है। इसके अलावा, जैन समुदाय के लोग ध्यान, धर्म प्रवचन और सद्भावना के अभ्यास को बढ़ावा देते हैं और इस त्योहार को एक धार्मिक और आध्यात्मिक उत्सव के रूप में मनाते हैं।
दीवाली और समाजिक संदेश
दीवाली एक समाजिक संदेश भी है जो समाज की एकता और भाईचारे को बढ़ावा देता है। इस अवसर पर लोग अपने रिश्तेदारों, परिवार, और दोस्तों के साथ एकता का प्रदर्शन करते हैं और मिलन-भगत का उत्सव मनाते हैं। इस दिन लोग अपने पड़ोसियों, दर्शनीय स्थलों के करीबी लोगों और गरीबों को भी धन और सुख-शांति की कामना करते हैं। दान-दानवीरता और सेवा भावना को बढ़ावा देते हुए दीवाली एक सामाजिक उत्सव है जो सभी को साथ लाता है और एक एकजुता देश की एकता और विविधता की महत्वपूर्ण बात को दिखाता है। इसके साथ ही दीवाली के दौरान लोग एक दूसरे के साथ आपसी समझबूझ, मिठास और सदभावना को बढ़ावा देते हैं जो एक सशक्त समाज की नींव होती है।
दीवाली और परंपरा
दीवाली भारतीय संस्कृति और परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह त्यौहार हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है, जो शुक्ल पक्ष में होती है। इसका महत्व इस बात पर आधारित है कि इस दिन भगवान राम ने अयोध्या में लौटने पर लोगों ने उनका स्वागत दीपों की मदद से किया था। इसी क्रिया को याद करते हुए दीवाली को भी धीरे-धीरे रामलीला की परंपरा के रूप में मनाने की प्रथा बनी हुई है।
दीवाली और आपूर्ति की समस्या
दीवाली के समय आपूर्ति की समस्या एक बड़ी चुनौती है जो किसी-किसी इलाकों में हो सकती है। धूप में दीपक जलाने की परंपरा के कारण बिजली की खपत बढ़ जाती है जो हो सकता है कि कुछ इलाकों में विद्युत संपूर्णता न हो और लोगों को दीवाली के लिए दीपक नहीं मिल पाते हैं। यह आपूर्ति की समस्या बच्चों को धूप में दीपक जलाने की बाधा डाल सकती है जो दीवाली की रोमांचक और आनंदमयी आत्मा को थोड़ा सा कम कर सकती है। इस समस्या को हल करने के लिए लोग अन्य विकल्प जैसे दीवाली की शुरुआत धूप कम होने वाले समय में कर सकते हैं या बच्चों को दीपक बनाने और उन्हें जलाने का समय प्रदान कर सकते हैं।
दीवाली और पर्यावरण
एक और महत्वपूर्ण पहलू जो दीवाली पर विचार करने योग्य है, वह है पर्यावरण की संरक्षा। दीपावली के दौरान आतिशबाजी, पटाखे और धूप में दीपक जलाने की परंपरा होती है, जो वायु प्रदुषण और ध्वनि प्रदुषण को बढ़ा सकती है। इसके अलावा, पटाखे और आतिशबाजी के उपयोग से अनेक पौधे, पशु और पक्षी भयभीत हो जाते हैं जो पर्यावरण के लिए हानिकारक हो सकता है।
इस समस्या को हल करने के लिए दीपावली की परंपरा में पटाखों की जगह पर्यावरण से स्नेह और सम्मान की भावना को बढ़ावा देने वाले विकल्प का विचार किया जा सकता है, जैसे पौधों को लगाना, फूल और पौधों से सजावट करना और एक-दूसरे के साथ वैदिक और आपसी भावना को बढ़ावा देना। ध्वनि प्रदुषण को कम करने के लिए भी स्थानीय शांति और सुरक्षा नियमों का पालन करना चाहिए। इस तरह से हम दीवाली को पर्यावरण और सामाजिक जिम्मेदारी के साथ मनाकर एक समृद्ध, स्नेहपूर्ण और स्वस्थ त्यौहार बना सकते हैं।
आपसी भावना को बढ़ावा देना
दीवाली एक ऐसा अवसर है जब परिवार, दोस्त और पड़ोसी एक-दूसरे के साथ मिल जाते हैं और आपसी भावना को बढ़ावा देते हैं। हम एक-दूसरे को बधाई देकर और गिफ्ट देकर आपसी तालमेल बनाए रख सकते हैं। साथ ही, गरीब और बेसहारा लोगों की मदद करके समाज सेवा का भी एक महत्वपूर्ण अंग है, जिसे दीवाली के अवसर पर ध्यान में रखना चाहिए
पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता देना
दीपावली त्यौहार के दौरान हवा प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण की समस्या बढ़ जाती है। आप पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता देने के लिए निम्नलिखित चरण अपना सकते हैं:
- पटाखों की बजाय पर्यावरण स्नेह और सम्मान की भावना को बढ़ावा देने वाले विकल्पों का विचार करें, जैसे पौधों को लगाना, फूल और पौधों से सजावट करना।
- ध्वनि प्रदुषण को कम करने के लिए फटकारे और बूम बॉक्स के बजाय सुनहरे दीपक, मोमबत्ती या एलईडी बत्तियों का उपयोग करें।
- ध्वनि प्रदूषण को कम करने के लिए समय सीमा नियमों का पालन करें, जैसे दीवाली के दिन में पटाखे बजाने की परमिटेड टाइम के अनुसार ही रहें।
- पटाखे चलाते समय विश्राम करने वाले पक्षियों, जानवरों और प्राणियों के लिए सुरक्षित करने के लिए सुनिश्चित करें।
- स्थानीय शांति और सुरक्षा नियमों का पालन करें। दीपावली के दौरान घर की और आपके आसपास की शांति और सुरक्षा की देखभाल करें। आप धूप और देहरादून जैसी चर्चित जगहों से दूर रहकर इंटीमेट और परिवार के साथ समय बिता सकते हैं।
- पटाखे चलाते समय हमेशा सुरक्षा नियमों का पालन करें, जैसे कि आग के पास पानी की बाल्टी रखना, पटाखों को आपस में नहीं मिलाना, बच्चों को पटाखे नहीं देना और अग्नि शांति वस्त्र का उपयोग करना।
- आपके घर के आसपास की वातावरण सुरक्षित रखें, जैसे कि बारूदी पटाखों या धूप के साथ चलाने वाले खेल के नियमों का पालन करना।
- अगर कोई आपके आसपास दीपावली चला रहा है, तो उनकी सुरक्षा का ध्यान रखें और अगर किसी व्यक्ति या संपत्ति में आग लग जाती है तो तुरंत अधिकारिकों को सूचित करें।
- धूप में रखे गए आभूषण और पार्टी वस्त्रों की सुरक्षा के लिए सावधानी बरतें। धूप में छमकदार धातु आभूषण, कपड़े या अन्य सामान को ध्यान से रखें ताकि उनमें आग न लग जाए।
- बच्चों की सुरक्षा पर खास ध्यान दें। बच्चों को पटाखों की जगह दीपावली के सुरक्षित खेल और गतिविधियों में शामिल कराएं।
- धूप और पटाखों के धुएं के प्रभाव से स्वास्थ्य को ध्यान में रखें। धूप में रहने से बचें और धुएं की प्रदूषण से बचने के लिए वायु शुद्धि के उपकरण का उपयोग करें।
- प्रकृति की देखभाल करें। पटाखों के निषेध और पर्यावरण संरक्षण के प्रमुख सिद्धांतों का पालन करें। धूप और पटाखों के इस्तेमाल को सीमित रखें और वातावरण को हर्ज करने वाले कार्यों से बचें।