Bakrid Kab Hai | बकरीद कब है? | बकरीद का त्यौहार क्यों मनाया जाता है?

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बकरीद का त्यौहार क्यों मनाया जाता है:(Bakrid Kab Hai  ) कहानी के अनुसार एक बार इब्राहीम अलैय सलाम नामक एक व्यक्ति थे, जिनके सपने में अल्लाह का हुक्म आया कि वे अपने बेटे इस्माइल अल्लाह की राह में कुर्बान कर दें। यह इब्राहीम अलैय सलाम के लिए एक इम्तिहान था, जिसमें एक तरफ अपने बेटे से मुहब्बत और एक तरफ अल्लाह का हुक्म था

Bakrid Kab Hai

Bakrid
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लेकिन अल्लाह का हुक्म ठुकराना अपने धर्म की तौहीन करने के समान था, जो इब्राहीम अलैय सलाम को कभी भी कुबूल ना था। इसलिए उन्होंने सिर्फ अल्लाह के हुक्म को पूरा करने का निर्णय बनाया और अपने बेटे की कुर्बानी देने को तैयार हो गए।

कहानी के अनुसार जैसे ही इब्राहीम अलैय सलाम छुरी लेकर अपने बेटे को कुर्बान करने लगे, वैसे ही फरिश्तों के सरदार जिब्रील अमीन ने बिजली की तेजी सेआकर बच्चे की जगह  मेमन रख दिया जिससे बच्चे की जान बच गई और यही से इस पर्व की शुरुआत हुई

Bakrid Kab Hai 2021

बकरीद कब है : रमजान महीना खत्म होने के करीब 70 दिन बाद और इस्लामिक कैलेंडर जु अल-हज्जा महीने के 10वें दिन मनाया जाने वाले बकरीद के त्योहार का इस्लामिक मान्यताओं में बहुत महत्व है। इसे मुसलमानों के सबसे पवित्र त्योहारों में से एक माना जाता है। इस्लाम में इस दिन अल्लाह के नाम कुर्बानी देने की परंपरा है। मुसलमान इस दिन नामज पढ़ने के बाद खुदा की इबादत में चौपाया जानवरों की कुर्बानी देते हैं और तीन भाग में बांटकर इसे जरूरतमंदों और गरीबों को देते हैं। भारत में इस बार बकरीद 20 July को मनाई जाएगी।

Bakrid Kab Hai- 20th July 2021

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अल अदहा कैसे मनाई जाती है: बकरीद के दिन सबसे पहले नमाज अदा की जाती है। इसके के बाद बकरे या फिर अन्य जानवर की कुर्बानी दी जाती है। कुर्बानी के बकरे के गोश्त को तीन हिस्सों करने की शरीयत में सलाह है। गोश्त का एक हिस्सा गरीबों में तकसीम किया जाता है, दूसरा दोस्त अहबाब के लिए और वहीं तीसरा हिस्सा घर के लिए इस्तेमाल किया जाता है

Bakrid
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दोस्तों और परिवार उपहार और पैसे का आदान-प्रदान करने और पारंपरिक भोजन खाने के लिए एकत्र होते हैं। ईद अल-अधा के दौरान उपहार देना और नए कपड़े देना परंपरा है। बलिदान परंपरा का बहुत बड़ा हिस्सा है।

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बलिदान के त्योहार की सबसे प्रसिद्ध गतिविधियों में से एक घरेलू जानवर का बलिदान है। कुछ सबसे अधिक बलि वाले जानवर ऊँट, भेड़ और बकरियाँ हैं। एक जानवर की बलि देने की क्रिया को क़ुर्बानी के नाम से भी जाना जाता है।

 

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