गाँव का त्योहार – प्रेरक यात्रा कहानी
गाँव का त्योहार – प्रेरक यात्रा कहानी(village festival inspiration story):-
village festival inspiration story
सृष्टि, जो कोलकाता में रहती थी, अपने गाँव रामपुरा के दशहरा त्यौहार देखने आई। शहर की भाग-दौड़, ट्रैफिक और शोर-शराबे से थक चुकी, सृष्टि अपने गाँव की मिट्टी की खुशबू और अपनापन महसूस करने के लिए बेहद उत्साहित थी।
गाँव पहुँचते ही उसने देखा कि गलियाँ रंग-बिरंगी झंडियों और लालटेन से सजी थीं। छोटे-छोटे घरों के आँगन में दीपक जल रहे थे, ढोल-नगाड़ों की थाप सुनाई दे रही थी और बच्चों की हँसी से पूरा वातावरण गूंज रहा था। लोगों की आँखों में उत्साह और खुशी साफ झलक रही थी।

सृष्टि ने अपने बचपन की पुरानी यादों को ताज़ा किया। वही तालाब, वही झूला, वही स्कूल जहाँ उसने खेल-खेल में कई सपने देखे थे। उसने महसूस किया कि शहर में वो सब कुछ है – चमक-धमक, सुविधा और सुविधा के उपकरण – लेकिन असली खुशी यहाँ, गाँव की सादगी और अपनापन में छुपी है।
सृष्टि ने देखा कि गाँव की महिलाएँ अपने परंपरागत परिधान में सजी हैं, और घर-घर से मिठाइयों की खुशबू आ रही है। लोग आपस में हाथ मिलाकर गले मिल रहे हैं, बच्चों को मिठाई दे रहे हैं और बूढ़े लोग तालियों की गूँज में पुराने गीत गा रहे हैं।
सृष्टि ने तय किया कि वह गाँव के बच्चों के लिए एक छोटी कहानी सुनाएगी। वह स्कूल पहुँची और बच्चों के बीच बैठकर अपने अनुभव साझा करने लगी। बच्चों ने ध्यान से सुना और उत्साह से सवाल पूछे। सृष्टि ने महसूस किया कि त्यौहार केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि संस्कृति और मानवीय संबंधों का संगम है।
दिन भर सृष्टि गाँव में घूमती रही, झूले झूलती, बच्चों के साथ खेलती और बूढ़ों से गाँव की परंपराओं के बारे में जानती रही। शाम को मेले में लकड़ी के झूले, मिठाई की दुकाने और लोकगीत का आनंद लिया। उसने देखा कि गाँव के लोग छोटी-छोटी खुशियों में कितनी संतुष्टि और अपनापन पाते हैं।
सृष्टि ने मन ही मन सोचा कि वह शहर की भाग-दौड़ की जिंदगी में खो जाने के बजाय, हर साल त्यौहार पर गाँव ज़रूर आएगी। क्योंकि असली खुशी और सुकून वहीं है जहाँ लोग दिल से जुड़े हों, परंपरा में जीवन की मिठास हो और हर चेहरा अपनापन बिखेरे।
उस दिन सृष्टि ने महसूस किया कि यात्रा का असली मज़ा केवल नई जगहों को देखने में नहीं, बल्कि वहाँ की आत्मा, लोग और संस्कृति को समझने में है। गाँव के त्योहार ने उसे जीवन का सबसे सुंदर सबक दिया – सादगी, अपनापन और संस्कृति ही असली धन हैं।
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