बरसात में गाँव का सुकून – प्रेरक यात्रा कहानी

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बरसात में गाँव का सुकून – प्रेरक यात्रा कहानी(monsoon village peace story ):-

monsoon village peace story

विवेक, जो मुंबई में बैंक में काम करता था, हर दिन की भाग-दौड़ से थक चुका था। शहर की तेज़ रफ्तार, ट्रैफिक, शोरगुल और मेट्रो की भीड़ ने उसे मानसिक रूप से थका दिया था। एक दिन उसने तय किया कि वह कुछ दिन अपने गाँव भट्ठापुर में बिताएगा, जहाँ उसने अपने बचपन के कई यादगार पल बिताए थे।

Monsoon Village Peace Story
Monsoon Village Peace Story

ट्रेन की खिड़की से बाहर देखता हुआ विवेक गाँव की ओर बढ़ा। रास्ते में हरियाली, छोटे-छोटे तालाब, कच्ची पगडंडियाँ और खेतों में हल चलाते किसान उसे देखते ही लग रहे थे जैसे उसे अपने बचपन की यादें बता रहे हों। मिट्टी की खुशबू और बारिश की हल्की बूंदें उसे भीतर तक सुकून दे रही थीं।

गाँव पहुँचते ही विवेक ने महसूस किया कि यहाँ का जीवन कितनी सादगी और अपनापन लिए हुए है। बरसात की ठंडी हवा में बच्चे खेतों में खेल रहे थे, मुँह में मिट्टी लगकर भी उनकी हँसी में चमक थी। महिलाएँ बाल्टी लेकर जल भरने जा रही थीं और कुछ लोग हल चलाते हुए खेतों में लगे थे।

विवेक ने अपने बचपन की पुरानी यादें ताज़ा कीं। वह अपने पुराने स्कूल और तालाब की ओर गया, जहाँ उसने बचपन में दोस्ती की थी और मछलियाँ पकड़ी थीं। बारिश में भीगते हुए वह बच्चों के साथ खेत में कूद पड़ा, पुराने झूले पर झूलने लगा और हवा में अपने बालों को छोड़ दिया।

शाम होते ही गाँव में हल्का मेला लगा। मिट्टी के दीपक जल रहे थे, ढोल-नगाड़ों की धुन बज रही थी और लोग लोकगीत गा रहे थे। विवेक ने देखा कि लोग अपनी साधारण जिंदगी में भी कितने खुश और संतुष्ट हैं। यहाँ किसी को मोबाइल या इंटरनेट की चिंता नहीं, न ही भाग-दौड़ की। बस जीवन का आनंद, आपसी अपनापन और मिट्टी की खुशबू थी।

विवेक ने सोचा कि शहर में लोग दौलत और ऊँची इमारतों की चाह में अपनी असली खुशियाँ भूल जाते हैं। लेकिन गाँव की ये सादगी, हरियाली और बरसात का सुकून उसे जीवन का असली अर्थ समझा गया। यहाँ हर क्षण में अपनापन, इंसानियत और प्रेम का अनुभव था।

अगले दिन विवेक ने तय किया कि वह हर साल कम से कम एक बार गाँव ज़रूर आएगा। क्योंकि सफ़र चाहे जितना लंबा क्यों न हो, मंज़िल वही है जहाँ दिल को सुकून मिले – और उसके लिए भट्ठापुर गाँव से बेहतर कोई जगह नहीं

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