दूसरी नवरात्रि की कथा – माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा और महत्व
दूसरी नवरात्रि की कथा – माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा और महत्व(Maa Brahmacharini Navratri Day 2 Story):-
माँ ब्रह्मचारिणी।
माँ ब्रह्मचारिणी का जन्म भी पर्वतराज हिमालय के घर हुआ। बचपन से ही वे अत्यंत शांत, संयमी और तपस्विनी थीं। उनका लक्ष्य स्पष्ट था – भगवान शिव को पति के रूप में पाना।

उन्होंने कठिन तपस्या का मार्ग चुना। कई वर्षों तक केवल फूल और फल खाकर रही। उसके बाद कई हज़ार वर्षों तक सिर्फ़ कंद-मूल खाकर जीवन बिताया। फिर लम्बे समय तक निर्जल और निराहार रहकर कठोर तप किया।
उनकी इस कठोर तपस्या और दृढ़ निश्चय से समस्त देवता प्रसन्न हुए। अंततः भगवान शिव ने भी उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया।
Maa Brahmacharini Navratri Day 2 Story
माँ ब्रह्मचारिणी का स्वरूप
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इनके दाहिने हाथ में जपमाला (रुद्राक्ष की माला) है।
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बाएँ हाथ में कमंडलु है।
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इनके चेहरे पर तेज और सरलता दोनों झलकती हैं।
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ये तपस्या, संयम और ब्रह्मचर्य की देवी मानी जाती हैं।
दूसरी नवरात्रि का महत्व
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माँ ब्रह्मचारिणी की उपासना से साधक को आत्म-बल और धैर्य मिलता है।
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जीवन की कठिनाइयों को सहने की शक्ति मिलती है।
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विद्यार्थी और तपस्वी उनके आशीर्वाद से ज्ञान और विद्या प्राप्त करते हैं।
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माना जाता है कि इस दिन साधक के स्वाधिष्ठान चक्र की शक्ति जागृत होती है।
पूजा विधि
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सुबह स्नान करके पीले या सफेद वस्त्र धारण करें।
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माँ ब्रह्मचारिणी की प्रतिमा/चित्र के सामने दीपक जलाएँ।
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फूल, अक्षत और चंदन अर्पित करें।
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उन्हें चीनी और गुड़ विशेष प्रिय है, इन्हें भोग लगाएँ।
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“ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः” मंत्र का जाप करें।
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अंत में माता से ज्ञान, धैर्य और संयम की प्रार्थना करें।
सीख
माँ ब्रह्मचारिणी की कथा हमें यह सिखाती है कि धैर्य और तपस्या से असंभव भी संभव हो सकता है। अगर मन में दृढ़ संकल्प हो, तो कठिन से कठिन मार्ग भी आसान हो जाता है।
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