सफ़र में मिला गाँव का सुकून – प्रेरक यात्रा कहानी

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सफ़र में मिला गाँव का सुकून – प्रेरक यात्रा कहानी(village travel inspiration story):-  

दिल्ली में रहने वाला अभिषेक हमेशा भाग-दौड़ भरी ज़िंदगी में उलझा रहता था। सुबह दफ़्तर, शाम को मेट्रो और फिर ट्रैफिक – यही उसकी दिनचर्या थी। लेकिन इस बार छुट्टियों में उसने तय किया कि वह अपने बचपन वाले गाँव दरियापुर जाएगा, जो बिहार के छपरा ज़िले में था।

ट्रेन की लंबी यात्रा शुरू हुई। खिड़की से बाहर देखते हुए अभिषेक को खेत, तालाब और गाँव की कच्ची पगडंडियाँ याद आने लगीं। सफ़र के दौरान उसने कई कस्बे और छोटे स्टेशन देखे, जहाँ लोग अभी भी मिट्टी के कुल्हड़ में चाय पीते थे। यह सब देखकर उसके चेहरे पर एक सुकून भरी मुस्कान आ गई।

village travel inspiration story
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जब ट्रेन छपरा स्टेशन पहुँची, तो वहाँ की हवा ही अलग थी। रिक्शे से गाँव जाते समय सड़क किनारे पीपल का पेड़, छोटे-छोटे ढाबे और मिट्टी की खुशबू दिल को छू रही थी। रास्ते में बच्चों को खेतों में खेलते हुए देखकर उसे अपने बचपन की याद आ गई।

गाँव पहुँचकर अभिषेक ने देखा कि सब लोग खुले दिल से उसका स्वागत कर रहे थे। बूढ़ी दादी आँगन में बैठी थीं, उन्होंने प्यार से कहा –
“बबुआ, अब तऽ बड़का बाबू बन गइलऽ, बाकिर तोहार गाँव तऽ वही पुरान बा।”

अगली सुबह वह गाँव की गलियों में घूमने निकला। कच्चे घर, गोबर से लिपा आँगन, कुएँ पर औरतों का पानी भरना – सब कुछ जैसे समय को रोक देता था। उसने खेतों की ओर चलना शुरू किया। हरियाली से भरे खेत, बैलों की जोड़ी और हल चलाते किसान – यह नज़ारा किसी चित्रकला से कम नहीं था।

अभिषेक ने सोचा कि शहर में भले ही ऊँची-ऊँची इमारतें हों, लेकिन असली ज़िंदगी तो यहाँ है – सादगी में, मिट्टी की खुशबू में और अपनापन में।

शाम को गाँव के तालाब किनारे मेला लगा हुआ था। लकड़ी के झूले, चाट-पकौड़ी की दुकानें और लोकगीत गाते नौजवान – सबने अभिषेक के मन को मोह लिया। उसने महसूस किया कि ट्रैवल का असली मज़ा सिर्फ़ जगह बदलने में नहीं, बल्कि उस जगह की आत्मा को महसूस करने में है।

उसने तय किया कि अब हर साल कम से कम एक बार गाँव ज़रूर आएगा। क्योंकि सफ़र चाहे कितनी भी लंबा क्यों न हो, मंज़िल वही है जहाँ दिल को सुकून मिले – और उसके लिए गाँव से बेहतर जगह कोई नहीं।

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