तालाब के किनारे दोस्ती: गाँव की यादों और रिश्तों की सच्ची कहानी

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तालाब के किनारे दोस्ती: गाँव की यादों और रिश्तों की सच्ची कहानी(Village Friendship by the Pond):-

तालाब के किनारे दोस्ती

Friendship by the Pond: A Village Tale of Bond and Memories

गाँव का तालाब सिर्फ पानी का स्रोत नहीं होता, बल्कि वहाँ की आत्मा की तरह होता है। सुबह की किरणों के साथ जब तालाब का पानी सुनहरी रोशनी में चमक उठता है, तो उसका नज़ारा किसी चित्रकारी से कम नहीं लगता। यही तालाब अक्सर गाँव वालों के जीवन का केंद्र बन जाता है। और इसी तालाब के किनारे शुरू हुई थी दो दोस्तों की एक अनोखी कहानी।

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राधे और मुकेश, बचपन के साथी थे। दोनों का घर तालाब से ज़्यादा दूर नहीं था। रोज़ सुबह वे अपने-अपने मवेशी चराने निकलते और शाम को तालाब के किनारे बैठकर बातें करते। उनकी दोस्ती इतनी गहरी थी कि गाँव वाले अक्सर कहते, “राधे-मुकेश की जोड़ी तो जैसे तालाब और पानी है, अलग हो ही नहीं सकते।”

एक दिन गर्मी बहुत तेज़ थी। खेतों में काम करने के बाद दोनों तालाब के किनारे आकर बैठ गए। ठंडी हवा और पानी की हल्की लहरें उन्हें सुकून दे रही थीं। मुकेश ने अचानक कहा,
“राधे, अगर कभी मैं गाँव छोड़कर शहर चला गया तो हमारी दोस्ती पर असर पड़ेगा क्या?”

राधे मुस्कुराया और बोला,
“पगला है क्या! दोस्ती तालाब के पानी जैसी होती है। चाहे धूप कितनी भी तेज़ पड़े, तालाब कभी सूखता नहीं। वैसे ही दोस्ती भी कभी खत्म नहीं होती।”

दोनों हँस पड़े और तालाब में कूदकर तैरने लगे। बच्चों की टोली भी वहीं खेल रही थी। कोई मछली पकड़ने की कोशिश कर रहा था, तो कोई पानी में नाव के आकार के पत्ते बहा रहा था। तालाब उस दिन भी अपनी गवाही दे रहा था कि यह सिर्फ पानी का स्रोत नहीं, बल्कि रिश्तों का संगम है।

कुछ समय बाद गाँव में बाढ़ आई। पानी चारों तरफ फैल गया, और खेत डूब गए। तालाब भी उफान पर था। गाँव के कई घरों में पानी भर गया। उस समय राधे और मुकेश ने मिलकर गाँव वालों की मदद की। तालाब के पास बाँध बनाकर उन्होंने पानी की धार को रोका और कई लोगों को सुरक्षित जगह पहुँचाया।

उस दिन पूरे गाँव ने देखा कि तालाब सिर्फ उनकी दोस्ती का गवाह नहीं, बल्कि उनकी हिम्मत और एकता का प्रतीक भी बन गया। बाढ़ खत्म होने के बाद जब गाँव में फिर से शांति आई, तो राधे और मुकेश तालाब के किनारे बैठे थे। उनकी आँखों में संतोष था।

मुकेश ने कहा,
“देखा राधे, इस तालाब ने हमें बचपन में खेलना सिखाया, जवानी में सपने देखने दिए और आज हमें गाँव के लिए कुछ करने का हौसला भी दिया।”

राधे ने तालाब के पानी की ओर देखा और बोला,
“हाँ मुकेश, सच कहूँ तो हमारी दोस्ती तालाब की ही देन है। यह जगह हमेशा हमें जोड़ती रहेगी।”

सूरज ढलने लगा था, आसमान लालिमा से भर चुका था। तालाब का पानी उसमें रंग गया था। दोनों दोस्त चुपचाप उस नज़ारे को देख रहे थे। उनके दिल में यह यकीन और पक्का हो गया कि चाहे वक्त कितना भी बदल जाए, उनकी दोस्ती तालाब के पानी की तरह हमेशा बनी रहेगी।

गाँव का तालाब उस दिन भी शांत था, पर उसके किनारे पर बैठी वह दोस्ती हमेशा के लिए अमर हो चुकी थी।

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