माँ महागौरी की कथा, महत्व और पूजा

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माँ महागौरी की कथा, महत्व और पूजा(Maa Mahagauri Story, Significance & Puja):-

नवरात्रि के आठवें दिन माता महागौरी की पूजा की जाती है। महागौरी का अर्थ है – अत्यंत शुद्ध और सौम्य। वे माता पार्वती का एक शांत और दिव्य रूप हैं, जो अपने भक्तों को पवित्रता, सुख और शांति प्रदान करती हैं।

🌼 जन्म और रूप

पुराणों के अनुसार, माता पार्वती ने कठोर तपस्या करके भगवान शिव को प्राप्त किया। उनके तप और संयम के कारण उनका शरीर बहुत श्वेत और चमकदार हो गया। इस कारण उन्हें महागौरी कहा गया। उनका रूप अत्यंत कोमल और शांत है, जिसमें माता के सौंदर्य और दिव्यता का सम्मिलन है।

Maa Mahagauri Story
Maa Mahagauri Story

माँ महागौरी का स्वरूप चार भुजाओं वाला है। हाथों में वे त्रिशूल और डमरू पकड़े हैं, जबकि अन्य हाथ भक्तों को वर और आशीर्वाद देते हैं। वे सफेद वस्त्रों में सजी होती हैं और उनका वाहन बैल (सिंह नहीं) है।

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🌼 महिषासुर वध और शक्ति

महागौरी देवी ने भी असुरों और बुराई का नाश करने के लिए अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया। उनका यह रूप भक्तों के लिए अत्यंत सौम्य और शांति देने वाला है, जबकि बुराई और अंधकार से लड़ने में सक्षम है।

🌼 पूजा और महत्व

आठवें दिन की पूजा में माता महागौरी का ध्यान और व्रत किया जाता है। उनके भक्तों का मानना है कि इस दिन की पूजा से जीवन में शांति, मानसिक संतुलन, स्वास्थ्य और सुख प्राप्त होता है।

  • मानसिक और शारीरिक शुद्धि होती है

  • भय और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है

  • वैवाहिक जीवन और पारिवारिक सुख में वृद्धि होती है

  • जीवन में सौभाग्य और समृद्धि आती है

🌼 पूजा विधि

  1. सुबह स्नान कर सफेद वस्त्र पहनें।

  2. माँ महागौरी की प्रतिमा या चित्र के सामने दीपक और धूप प्रज्वलित करें।

  3. उनका ध्यान करते हुए ॐ देवी महागौर्यै नमः मंत्र का जाप करें।

  4. फूल, अक्षत (चावल) और फल भोग के रूप में अर्पित करें।

  5. श्रद्धा और विश्वास के साथ व्रत पूरा करें।

🌼 स्वरूप और प्रतीक

  • शरीर श्वेत और उज्ज्वल, वस्त्र भी सफेद

  • हाथों में त्रिशूल, डमरू और वर/आशीर्वाद मुद्रा

  • बैल पर विराजमान

  • शांति और सौंदर्य का प्रतीक

माँ महागौरी आरती

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशिदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी॥
जय अम्बे गौरी
माँग सिन्दूर विराजत, टीको मृगमद को।
उज्जवल से दोउ नैना, चन्द्रवदन नीको॥
जय अम्बे गौरी
कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै।
रक्तपुष्प गल माला, कण्ठन पर साजै॥
जय अम्बे गौरी
केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी।
सुर-नर-मुनि-जन सेवत, तिनके दुखहारी॥
जय अम्बे गौरी
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती।
कोटिक चन्द्र दिवाकर, सम राजत ज्योति॥
जय अम्बे गौरी
शुम्भ-निशुम्भ बिदारे, महिषासुर घाती।
धूम्र विलोचन नैना, निशिदिन मदमाती॥
जय अम्बे गौरी
चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे।
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे॥
जय अम्बे गौरी
ब्रहमाणी रुद्राणी तुम कमला रानी।
आगम-निगम-बखानी, तुम शिव पटरानी॥
जय अम्बे गौरी
चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरूँ।
बाजत ताल मृदंगा, अरु बाजत डमरु॥
जय अम्बे गौरी
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता।
भक्‍तन की दु:ख हरता, सुख सम्पत्ति करता॥
जय अम्बे गौरी
भुजा चार अति शोभित, वर-मुद्रा धारी।
मनवान्छित फल पावत, सेवत नर-नारी॥
जय अम्बे गौरी
कन्चन थाल विराजत, अगर कपूर बाती।
श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति॥
जय अम्बे गौरी
श्री अम्बेजी की आरती, जो कोई नर गावै।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख सम्पत्ति पावै॥

 

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माँ महागौरी का यह रूप हमें यह सिखाता है कि संयम, तप और भक्ति से जीवन में सुख, समृद्धि और मानसिक शांति प्राप्त होती है। उनके दर्शन और पूजा से भक्तों का जीवन शुद्ध, सकारात्मक और भयमुक्त बनता है।

🌼 भक्ति और उपासना

आठवें दिन व्रती महिलाएँ और पुरुष माँ महागौरी का व्रत करते हैं। भक्तों का मन पवित्र होना चाहिए। श्रद्धा और विश्वास के साथ कथा सुनना, मंत्र का जाप और पूजा करना अत्यंत फलदायी होता है।

माँ महागौरी की भक्ति से जीवन में सौभाग्य, मानसिक शांति और समृद्धि आती है। उनका यह दिव्य रूप दर्शाता है कि कठिन तप और भक्ति से सभी बाधाएँ दूर की जा सकती हैं और जीवन शुद्ध और सफल बनता है।

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