माँ कालरात्रि की कथा, महत्व और पूजन विधि
माँ कालरात्रि की कथा, महत्व और पूजा(Maa Kalaratri Story, Significance & Puja):-
Maa Kalaratri Story, Significance & Puja
नवरात्रि के सातवें दिन माता कालरात्रि की पूजा होती है। वे दुर्गा जी का अत्यंत शक्तिशाली और उग्र रूप हैं, जिन्हें समय और मृत्यु की देवी भी माना जाता है। माता कालरात्रि का स्वरूप भयंकर दिखता है, लेकिन वे अपने भक्तों के लिए अत्यंत कृपालु हैं।

🌼 जन्म और रूप
पुराणों के अनुसार, महिषासुर और अन्य असुरों के अत्याचार से देवताओं को राहत पाने के लिए माँ दुर्गा ने विभिन्न शक्तियों का संयोग किया। माँ कालरात्रि, महाकाली का रूप लेकर प्रकट हुईं। उनका रूप अति भयंकर और घोर उग्र है – काले रंग के वस्त्र, घोर दृष्टि और जटाओं से ढका हुआ। उनका वाहन सिंह है। हाथों में तलवार और त्रिशूल लिए, वे असुरों का संहार करती हैं।
माँ कालरात्रि को देखकर सभी असुर भयभीत हो जाते हैं। उनके रूप में अंधकार, समय और मृत्यु का प्रतीक होता है, परंतु भक्तों के लिए वे पूर्ण सुरक्षा और आशीर्वाद देती हैं।
🌼 महिषासुर वध
कालरात्रि देवी ने असुरों और शत्रुओं के विनाश के लिए प्रकट होकर महिषासुर का संहार किया। उनका यह रूप इस बात का प्रतीक है कि संकट और अंधकार में भी माँ की शक्ति सभी का मार्गदर्शन करती है। यही कारण है कि उनका नाम कालरात्रि पड़ा – ‘काल’ अर्थात समय और ‘रात्रि’ अर्थात अंधकार।
🌼 पूजा और महत्व
सातवें दिन की पूजा में माता कालरात्रि का ध्यान और व्रत किया जाता है। उनके भक्तों का मानना है कि इस दिन की पूजा से भय, शत्रु और नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति मिलती है। घर में यदि किसी प्रकार का भय या नकारात्मक ऊर्जा हो, तो कालरात्रि की आराधना उसे दूर कर देती है।
माँ कालरात्रि की पूजा करने से:
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भय और संकट दूर होते हैं
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नकारात्मक शक्तियाँ और शत्रु परास्त होते हैं
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जीवन में साहस और मानसिक शक्ति का संचार होता है
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रोग और परेशानियाँ कम होती हैं
🌼 पूजा विधि
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सुबह स्नान और शुद्ध वस्त्र पहनें।
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पीले या लाल रंग के वस्त्र (माँ के भव्य रंग) धारण करें।
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माँ कालरात्रि की प्रतिमा या तस्वीर के सामने दीपक और धूप प्रज्वलित करें।
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उनका ध्यान करते हुए ॐ देवी कालरात्र्यै नमः मंत्र का 108 बार जाप करें।
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फूल, अक्षत (चावल) और मीठा भोग अर्पित करें।
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श्रद्धा और विश्वास के साथ व्रत पूर्ण करें।
🌼 स्वरूप और प्रतीक
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शरीर काला, वेश अत्यंत सरल और जटाओं से ढका हुआ
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हाथों में तलवार और त्रिशूल
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सिंह पर विराजमान
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आंखें तीव्र और शत्रुओं को नष्ट करने वाली
माँ कालरात्रि का यह स्वरूप अंधकार और बुराई का विनाश करने वाला है। उनके दर्शन और पूजा से भक्तों को आत्मविश्वास, साहस और भयमुक्त जीवन की प्राप्ति होती है।
🌼 भक्ति और उपासना
सातवें दिन व्रती महिलाएँ माँ कालरात्रि का व्रत करती हैं। उनका मन शुभ और शुद्ध होना चाहिए। श्रद्धा के साथ उनकी कथा सुनना, मंत्र का जाप करना और पूजा करना अत्यंत फलदायी होता है।
माँ कालरात्रि की भक्ति से भक्तों का जीवन सकारात्मक, सुरक्षित और सफल बनता है। उनका यह रूप हमें याद दिलाता है कि अंधकार चाहे कितना भी घना हो, माँ की शक्ति से सभी बाधाएँ दूर की जा सकती हैं।
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