माँ कूष्मांडा की कथा – ब्रह्मांड की सृष्टि और आदिशक्ति का रहस्य

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माँ कूष्मांडा की कथा – ब्रह्मांड की सृष्टि और आदिशक्ति का रहस्य(Maa Kushmanda Navratri Day 4 Story):- 

🌺 माँ कूष्मांडा की कथा (चौथे नवरात्रि की कथा) 🌺

नवरात्रि के चौथे दिन माँ दुर्गा के कूष्मांडा स्वरूप की पूजा की जाती है। माँ का यह रूप सृष्टि की आद्यशक्ति माना गया है। “कूष्मांडा” शब्द का अर्थ है – कूष्मांड = कुम्हड़ा (Pumpkin) + अंड = अंडाकार ब्रह्मांड। अर्थात वह देवी जिन्होंने अपनी मुस्कान और शक्ति से सम्पूर्ण ब्रह्मांड का सृजन किया।

Maa Kushmanda Navratri Day 4 Story

Maa Kushmanda Navratri Day 4 Story
Maa Kushmanda Navratri Day 4 Story

कथा

पौराणिक मान्यता के अनुसार, जब सृष्टि की रचना नहीं हुई थी और हर ओर अंधकार ही अंधकार था, तब माँ दुर्गा ने मधुर मुस्कान के साथ पूरे ब्रह्मांड को उत्पन्न किया। माँ की हँसी से ब्रह्मांड की रचना हुई और सूर्य की ज्योति प्रकट हुई।
इसी कारण माँ कूष्मांडा को सूर्य मंडल की अधिष्ठात्री देवी कहा जाता है।

माँ कूष्मांडा का स्वरूप अत्यंत दिव्य और तेजस्वी है। उनके आठ हाथ हैं, जिनमें कमंडल, धनुष-बाण, चक्र, गदा, कमल और अमृतकलश शोभित होते हैं। वे सिंह पर सवार रहती हैं और उनके तेज से समस्त संसार प्रकाशित होता है।

Maa Kushmanda


महत्व

  • माँ कूष्मांडा को आनंद और ऊर्जा की देवी माना जाता है।

  • उनकी पूजा करने से जीवन के अंधकार दूर होते हैं और स्वास्थ्य, आयु तथा शक्ति प्राप्त होती है।

  • जो भी साधक उनकी श्रद्धा से आराधना करता है, उसके सभी दुख और कष्ट दूर हो जाते हैं।

  • यह भी माना जाता है कि माँ की कृपा से असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं।


पूजा विधि

  1. प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

  2. पूजा स्थल पर लाल कपड़ा बिछाकर माँ कूष्मांडा की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।

  3. देवी को लाल फूल, धूप, दीपक, चावल, रोली और विशेष रूप से कुम्हड़े (कद्दू) का भोग अर्पित करें।

  4. “ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः” मंत्र का जप करें।

  5. अंत में आरती कर प्रार्थना करें।


विशेष मान्यता

  • माँ कूष्मांडा की पूजा से घर में सुख-समृद्धि और शांति आती है।

  • उनके आशीर्वाद से भक्त को रोगमुक्ति और दीर्घायु प्राप्त होती है।

  • सूर्य जैसे तेज की प्राप्ति होती है और व्यक्ति के जीवन में नई ऊर्जा का संचार होता है।


Maa Kushmanda Navratri Day 4 Story

🙏 माँ कूष्मांडा पूजा विधि

  1. प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।

  2. पूजा स्थल पर लाल कपड़ा बिछाकर माँ कूष्मांडा की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।

  3. कलश स्थापना करें और उसमें गंगाजल, आम के पत्ते और नारियल रखें।

  4. माँ को लाल फूल, रोली, चावल, कुम्हड़ा (कद्दू) और मिठाई अर्पित करें।

  5. धूप और घी का दीपक जलाएँ।

  6. “ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः” मंत्र का 108 बार जप करें।

  7. अंत में आरती करें और परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करें।


🌺 माँ कूष्मांडा मंत्र

“ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कूष्माण्डायै नमः॥”

👉 इस मंत्र के जप से जीवन में नई ऊर्जा, स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।


🌸 माँ कूष्मांडा की आरती

आरती
जय अम्बे जगदम्बे माँ, जय कूष्माण्डा भवानी।
तेरी महिमा का क्या बखान, करे शंकर भी वाणी॥

तेरे आठों भुजाओं में, शक्ति का है वास।
कमंडल, धनुष, चक्र, गदा, कमल और अमृत का प्रकाश॥

सिंह पर बैठी भवानी, चमके सूरज समान।
तेरी कृपा से माँ, मिटे हर अज्ञान॥

जय अम्बे जगदम्बे माँ, जय कूष्माण्डा भवानी।

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