खेत की मेहनत: गाँव की सादगी और लगन की कहानी

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खेत की मेहनत: गाँव की सादगी और लगन की कहानी(Hard Work in the Fields: A Heartwarming Village Tale):-

Hard Work in the Fields

खेत की मेहनत

गाँव के खेतों में सूरज की पहली किरणें धीरे-धीरे पसर रही थीं। हल्की ठंडी हवा और ताजगी भरी सुबह ने पूरे गाँव को जगाया। किसान अपने हल लेकर खेतों की ओर बढ़ रहे थे। यहाँ की हरियाली और मिट्टी की खुशबू में एक अलग ही जीवन का एहसास था।

मोहन अपने पिता के साथ हल चला रहा था। पिता की आँखों में मेहनत और अनुभव की झलक थी, जबकि मोहन की आँखों में उत्साह और सीखने की चाह।

Hard Work in the Fields A Heartwarming Village Tale
Hard Work in the Fields A Heartwarming Village Tale

“पिताजी, ये काम कठिन तो है, लेकिन मज़ा भी आता है,” मोहन ने हल को धीरे-धीरे खींचते हुए कहा।

पिता मुस्कुराए और बोले, “बेटा, मेहनत का फल हमेशा मीठा होता है। यही हमारे गाँव की ताकत है। जब हम अपनी मेहनत से फसल उगाते हैं, तो वह सिर्फ अन्न नहीं, बल्कि गाँव की आत्मा भी होती है।”

मोहन ने खेतों में फैली हरियाली को देखा। हल के पीछे-पीछे मिट्टी की खुशबू उसके मन को तरो-ताज़ा कर रही थी। गायें और भैंसें अपने चारे की ओर बढ़ रही थीं, और बच्चे खेतों के पास छोटे-छोटे खेलों में मग्न थे।

दिनभर, मोहन और उसके पिता खेतों में हल चलाते रहे। कभी हल जल्दी खिसकता तो कभी मिट्टी भारी लगती। पिता ने हर बार मोहन को समझाया कि कैसे धैर्य और लगन से हर कठिनाई को पार किया जा सकता है।

दोपहर आते-आते गाँव की महिलाएँ अपने घर के काम निपटा कर बच्चों को पढ़ाने लगीं। मोहन ने देखा कि गाँव का हर व्यक्ति अपने काम में व्यस्त होते हुए भी दूसरों की मदद करता है। कोई पानी लाने जाता, कोई हल की सफाई करता, तो कोई बीज बोने में मदद करता।

शाम को, जब सूरज ढलने लगा, मोहन और उसके पिता हल और बैल को लेकर घर लौट रहे थे। खेतों की मिट्टी उनके पैरों और हाथों पर चिपकी थी, लेकिन उनके चेहरों पर संतोष और खुशी झलक रही थी।

मोहन ने पिता से कहा, “पिताजी, मैं बड़ा होकर भी हमेशा गाँव में रहना चाहूंगा। यहाँ की मिट्टी, यहाँ की हवा और लोग मेरे लिए असली दुनिया हैं।”

पिता ने मुस्कुराते हुए कहा, “बिलकुल बेटा। गाँव की सादगी और मेहनत ही हमारी असली दौलत है। मेहनत करने वाले इंसान की खुशियाँ उसकी आँखों में झलकती हैं। और तुम्हारे चेहरे की मुस्कान मुझे यही दिखा रही है।”

रात को, जब गाँव के घरों में दीपक जल रहे थे और खेतों से हल्की-हल्की धूल उड़ रही थी, मोहन ने महसूस किया कि मेहनत केवल तन के लिए नहीं, बल्कि आत्मा के लिए भी है। गाँव में हर कदम, हर हल और हर बीज में एक कहानी छुपी है – कहानी मेहनत, प्यार और अपनापन की।

और इस तरह, “खेत की मेहनत” सिर्फ काम नहीं, बल्कि गाँव के जीवन का प्रतीक बन गई। यह कहानी हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है जो अपने जीवन में लगन और मेहनत के महत्व को समझता है।

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