गाँव की शाम: भावपूर्ण ग्रामीण जीवन की कहानी

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गाँव की शाम: भावपूर्ण ग्रामीण जीवन की कहानी(Evening in the Village: A Heartwarming Bhojpuri Tale):-

Evening in the Village

गाँव के किनारे वाली बांस की झोपड़ी के पास, सूरज ढलते ही एक सुनहरी रौशनी फैल गई। खेतों में हल्की हवा चल रही थी और आम के पेड़ पर पक्षियों की चहचहाहट सुनाई दे रही थी। छोटे-छोटे बच्चे दौड़ते हुए तालाब की ओर जा रहे थे, वहीं महिलाएँ घर के काम निपटा कर बरामदे में बैठकर बातें कर रही थीं।

Evening in the Village
Evening in the Village

रामू और मोनू, दो बचपन के दोस्त, खेतों में खेल रहे थे। उनके बीच की हंसी पूरे गाँव में गूँज रही थी। तभी गाँव के बुजुर्ग दादा जी ने उन्हें अपने पास बुलाया।

“बच्चों, आज तुम लोग गाँव की असली कहानी जानोगे। ये खेत, ये तालाब, ये लोग—सब हमारे जीवन का हिस्सा हैं। हमें इन्हें प्यार और इज्जत से रखना चाहिए।”

बच्चों ने ध्यान से दादा जी की बातें सुनी। धीरे-धीरे गाँव के लोग एकत्र होने लगे। गाँव के एक कोने में महिलाएँ रोटियां सेंक रही थीं, वहीं कुछ लोग लकड़ी का काम कर रहे थे। शाम ढलते-ढलते गाँव की गलियों में बच्चों की हँसी, गायों की आवाज़ और हल्की हवा का संगीत एक अद्भुत वातावरण बना रहा था।

Evening in the Village

रामू ने मोनू से कहा, “देखो मोनू, गाँव कितना सुंदर है। यहाँ की मिट्टी, हवा और लोग सब कुछ कितना प्यारा है।”
मोनू ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “सच में, गाँव का अपनापन शहर की चमक-दमक से कहीं ज्यादा मूल्यवान है।”

और इसी तरह, गाँव की शाम ने सभी के दिल में गर्मी और अपनापन भर दिया। गाँव के लोग अपने जीवन की सरलता और खुशियों को समझते हुए, धीरे-धीरे अपने-अपने घर लौट गए।

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