सपनों का गाँव – प्रेरक यात्रा और गाँव कहानी
सपनों का गाँव – प्रेरक यात्रा और गाँव कहानी:-
संदीप, जो पटना में कंप्यूटर इंजीनियर था, हमेशा शहर की भाग-दौड़ में उलझा रहता था। उसने तय किया कि वह अपने बचपन के गाँव मझगाँव की यात्रा करेगा।

ट्रेन की खिड़की से बाहर देखते हुए उसे हरियाली, छोटे-छोटे तालाब, खेत और मिट्टी की खुशबू याद आई। गाँव पहुँचते ही उसने देखा कि लोग अभी भी सादगी से जी रहे थे – बच्चे खेत में खेल रहे थे, महिलाएँ जलभरने जा रही थीं, और बूढ़े अपने आँगन में बैठकर कहानी सुना रहे थे।
संदीप ने तय किया कि वह गाँव के बच्चों को मुफ्त कंप्यूटर शिक्षा देगा। अगले दिन उसने गाँव के स्कूल का दौरा किया। बच्चों की आँखों में चमक देखकर उसे एहसास हुआ कि असली खुशी शहर की दौड़ में नहीं, बल्कि गाँव की सादगी और अपने सपनों को जीने में है।
इस यात्रा ने उसे जीवन का नया दृष्टिकोण दिया – कि जहाँ दिल को सुकून मिले, वही असली मंज़िल है।
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