रोटी का मोल – गाँव से जुड़ी एक प्रेरक कहानी

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🌾 कहानी – रोटी का मोल

बिहार के छपरा ज़िले के एक छोटे से गाँव बड़की बगिया में एक गरीब औरत मालती अपने दो बच्चों के साथ रहती थी। पति शहर में मज़दूरी करने गया था लेकिन कई महीनों से कोई ख़बर नहीं आई।

बरसात का मौसम था, गाँव के खेत तो लहलहा रहे थे लेकिन मालती के घर में चूल्हा कई दिन से ठंडा पड़ा था। बच्चे भूख से बिलख रहे थे।

Motivational Village Story
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मालती ने हिम्मत करके गाँव के चौपाल पर जाकर कहा –
“का हो भइया लोग, बच्चा लोग भूखले मर जाई, एक रोटी के सहारा मिल जाए तऽ जिनगी बच जाई।”

गाँव के ही बुज़ुर्ग रामउजागर काका यह सुनकर तुरंत अपने घर गए। उन्होंने चूल्हे पर गरम रोटी बनवाई और मालती व उसके बच्चों को बुलाकर पेट भर खिलाया।

उस दिन पूरे गाँव ने देखा कि असली अमीरी अनाज और सोने से नहीं, बल्कि दूसरे के आँसू पोंछने से होती है।

गाँव की औरतें कहने लगीं –
“जिनगी में भगवान हर जगह ना आ सकेलन, एही से इंसानियत के रूप में हमनी के सामने अइसन लोग भेजेलन।”

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