कचहरी में इंसानियत – जज अयान शंकर और भिखारी की कहानी

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कचहरी में इंसानियत – जज अयान शंकर और भिखारी की कहानी(courtroom humanity story):-

courtroom humanity story

वाराणसी की कचहरी में एक सन्नाटा छाया था। कोर्ट रूम नंबर पांच में जज अयान शंकर अपनी कुर्सी पर बैठने वाले थे। तभी दरवाजा खुला और अंदर दाखिल हुआ एक फटे-पुराने कपड़ों में बुजुर्ग भिखारी। उसकी आँखों में जीवन की थकावट झलक रही थी।

लोगों की निगाहें तिरस्कार और हँसी से भर गईं। कुछ ने तो उसकी तरफ इशारा कर हँसते हुए कहा – “यहाँ क्या करने आया?” लेकिन जज अयान शंकर ने अपनी कुर्सी छोड़कर उस भिखारी के लिए खड़े होकर सम्मान दिखाया। कोर्ट रूम में सब स्तब्ध रह गए।

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भिखारी ने धीरे-धीरे अपना बयान देना शुरू किया। उसका नाम हरिलाल था और वह छोटे से गाँव चेतनपुर का रहने वाला था। जीवन में बहुत संघर्ष झेलने के बाद, किसी वजह से वह भिखारी बन गया। आज उसे अपने गाँव की जमीन और कुछ बुनियादी अधिकार के लिए न्याय चाहिए था।

जज अयान ने उसकी बात ध्यान से सुनी। उन्होंने सिर्फ़ कानूनी प्रक्रिया ही नहीं निभाई, बल्कि इंसानियत का असली सबक भी सबको दिखाया। कोर्ट रूम में बैठे अधिवक्ता, क्लर्क और वकील भी इस व्यवहार को देखकर सोच में पड़ गए।

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हरिलाल ने बताया कि गाँव में उसकी जमीन पर किसी ने कब्ज़ा कर लिया है, और गाँव वालों में किसी ने उसका साथ नहीं दिया। जज अयान ने उसकी बातों को नोट किया और पूरे मामले की निष्पक्ष सुनवाई शुरू की। कोर्ट के दौरान जज साहब ने उसे बार-बार सम्मान और आदर का अनुभव कराया।

सुनवाई के दौरान, हरिलाल के चेहरे पर पहली बार सच्ची उम्मीद की चमक दिखाई दी। जज साहब ने उसे बताया कि चाहे परिस्थितियाँ कितनी भी कठिन क्यों न हों, इंसानियत और न्याय की राह कभी बंद नहीं होती।

कोर्ट ने अंततः हरिलाल के पक्ष में फैसला दिया। जमीन उसके नाम वापस हुई, और उसे अपने गाँव लौटने का हक मिला। जज अयान के इस व्यवहार ने न सिर्फ कोर्ट रूम में उपस्थित लोगों को बल्कि पूरे वाराणसी में यह संदेश दिया कि सच्चा न्याय केवल क़ानून नहीं, बल्कि सम्मान और इंसानियत भी है

हरिलाल अपने गाँव लौट गया, लेकिन जज अयान की कृपा और इंसानियत की कहानी गाँव और शहर दोनों में लोगों की जुबान पर चर्चा बन गई। यही वह सच्चा संदेश था कि इंसानियत का असली मूल्य किसी भिखारी या अमीर से नहीं, बल्कि हमारे व्यवहार और सम्मान से मापा जाता है।

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